About Us

ए० के० गोपालन डिग्री कॉलेज
संक्षिप्त इतिहास

ए० के० गोपालन कॉलेज की स्थापना 11 जनवरी 1980 को की गयी थी। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी का० ए० के० गोपालन (Ayillyath Kutfiari Gopalan) के स्मारक के रूप में इस संस्था की स्थापना की गयी है। का० गोपालन केरल प्रान्त से 1952 से 22 मार्च 1977 को निधन तक लोक सभा के सदस्य रहे। वे अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष एवं सी० पी० आई० (एम०) के संसदीय दल के तथा संसद में विपक्ष के नेता थे।
आपातकाल में तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करते हुए पुलिस-लाठीचार्ज में उनका हाथ टूट गया था। उसके कुछ दिनों बाद उनका देहान्त अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया। उनकी सरलता, देशभक्ति एवं साम्राज्यवाद के खिलाफ चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी महान भूमिका के कारण उन्हें दक्षिण भारत का गाँधी भी कहा जाता था। का० गोपालन की पत्नी का० सुशीला गोपालन, पूर्व सांसद ने का० सुनीत चोपड़ा के साथ कॉलेज भवन का शिलान्यास किया था।

A. K. Gopalan Degree College Sultanganj, Bhagalpur

लोकतंत्र की रक्षा हेतु चल रहे आंदोलन में उनकी शहादत की याद में इस कॉलेज की स्थापना की गयी है। इधर कॉलेज के संस्थापक प्रो० अर्जुन प्रसाद को भी तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी की तानाशाही का विरोध करने के कारण 1974 में जेल की यातना झेलनी पड़ी थी। इसी पृष्टभूमि में प्रो० प्रसाद एवं का० जयप्रकाश सिंह की प्रेरणा एवं सलाह पर कॉलेज का नाम "ए० के० गोपालन कॉलेज" रखा गया। जयप्रकाश सिंह, स्व० सुबोध चौधरी एवं स्व० प्रो० कमला कान्त मिश्रा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
स्थापना के पाँच वर्ष के अंदर ही कॉलेज CPM के कुछ राज्यनेताओं की गुटबाजी का शिकार हो गया। प्रो० प्रसाद की पार्टी के अन्दर बढ़ते कद से घबड़ा कर उसके प्रतिद्वन्दियों ने तत्कालीन प्रो०- इन्चार्ज स्व० सुबोध चौधरी को हथियार बना लिया। स्व० चौधरी ने उनकी शह पर, कॉलेज की आय को कॉलेज के खाता में जमा करना बंद कर दिया। इस कारण उन्हें इन्चार्ज के पद से हटा दिया गया। बौखलाकर उन्होंने कॉलेज के कुछ शिक्षकों एवं कर्मचारियों के साथ मिलकर प्रबंध समिति की बैठक में हमला कर कार्यवाही पुस्तिका छीनने की कोशिश की। इस क्रम में सचिव प्रो० प्रसाद, प्रबंध समिति के अध्यक्ष का० जय प्रकाश सिंह एवं सदस्य प्रो० अक्षयवट सिंह आदि घायल हो गये।
इस घटना के बाद स्व० चौधरी को व्याख्याता के पद से भी हटा दिया गया। स्व० चौधरी की जगह पर सबसे वरीय शिक्षक "डॉ० शिव प्र० भगत को प्रो०- इन्चार्ज नियुक्त किया गया, तो 1985 में स्व० चौधरी ने CPM के राज्यकामेटी के सदस्य का०' सारंगधर पासवान को सचिव बनाकर इसी नाम से ब्लौक रोड में समानांतर कॉलेज खोल लिया।
उल्लेखनीय है कि उस समय प्रो० प्रसाद CPM के बिहार सचिव मंडल के सदस्य थे। फलत: CPM की राज्य कमिटी ने घटना क्रम की जाँच कमीशन से करायी। कमीशन ने का० सारंगधर पासवान एवं स्व० चौधरी को दोषी माना तथा प्रो० प्रसाद को निर्दोष पाया। फिर भी पार्टी ने प्रो० प्रसाद को पार्टी से निकाल दिया तब यह कॉलेज आदर्श मध्य विद्यालय में चलता था। चौधरी एवं अन्य के द्वारा कुछ अपराधकर्मियों की मदद से एक दिन सुबह 4-5 बजे कॉलेज कार्यालय से कुछ आलमारियां, कागजात एवं फर्निचर आदि लूट लिये गये। सरकार ने 1987 में प्रो० अर्जुन प्रसाद एवं डॉ शिव प्रात भगत को क्रमशः वास्तविक सचिव एवं वास्तविक प्रो-इन्चार्ज होने की मान्यता दी फलतः तथाकथित सनातर कॉलेज बंद हो गया।

A. K. Gopalan Degree College Sultanganj, Bhagalpur

लूटपाट के बाद वर्ष 1985 में ही सीतारामपुर स्थित कॉलेज की अपनी जमीन पर, जनसहयोग से खपड़ैल भवन बनाकर, कॉलेज को शिफ्ट कर दिया गया।
यह सचिव प्रो० प्रसाद की दूरदर्शिता थी कि उन्होंने वर्ष 1985 में ही कॉलेज को इन्टर एवं डिग्री स्तर के शिक्षण की बिल्कुल अलग-अलग व्यवस्था कर दी। दोनों कॉलेजों के स्टाफ एवं आधारभूत संरचना की बिल्कुल अलग-अलग व्यवस्था की गयी। इसमें सुलतानगंज के अतिप्रतिष्ठित शिक्षाप्रेमी स्व० रामचन्द्र प्र० यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने प्रो० प्रसाद के अनुरोध पर अपने ज्येष्ट पुत्र श्री संतोष कुमार यादव के नाम की 10 ए० 301/4 डि० जमीन डिग्री कॉलेज के लिए दान में दिया। इसी कारण डिग्री कॉलेज के भवन का नाम "रामचन्द्र प्रसाद यादव कला भवन" रखा गया।

पहले की संपदा इन्टर कॉलेज को आवंटित कर दी गयी। और बाद में अर्जित संपदा डिग्री कॉलेज को। वर्ष 1989 में "ए० के० गोपालन इन्टर कॉलेज" के नाम से बिहार इन्टर मीडिएट शिक्षा परिषद से प्रस्वीकृति प्राप्त की गयी तथा वर्ष 1990 में "ए० के० गोपालन डिग्री कॉलेज के नाम से ति० माँझी भागलपुर वि० वि० एवं सरकार से संबंधन प्राप्त किया गया।
वर्ष 1990 में कला संकाय के सात विषयों में पास एवं आनर्स तथा एक विषय (अंग्रेजी) में पास स्तर का अस्थायी संबंधन प्राप्त हुआ। जिसका दीर्घीकरण 1999 तक होता रहा। इस बीच सचिव प्रो० प्रसाद को तत्कालीन राज्यपाल - सह-कुलाधिपति से विवाद हो जाने के कारण 1997 में उन्हें कुलाधिपति श्री ए० आर० किदवई न B.N. Mandal विश्वविद्यालय में मधेपुरा स्थानांतरित कर दिया। तथा संस्थापक प्रबंध समिति की जगह पर विश्वविद्यालय ने तदर्थ समिति का गठन कर दिया। जिसमें SDO को सचिव, विश्वविद्यालय सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो० शशिशेखर तिवारी को अध्यक्ष तथा प्रो० प्रसाद को संस्थापक एवं दाता की हैसियत से सदस्य मनोनित किया गया। परन्तु त० स० के सचिव एवं अध्यक्ष ने कभी कालेज कैम्पस में न तो पदार्पण किया और न प्रभार ग्रहण किया। इधर प्रो० प्रसाद ने सचिव के रूप में काम करना बंद कर दिया। फलतः 1999 के बाद सबद्धता का दीर्घाकरण नहीं हो सका। सबद्धता का दीर्घीकरण नहीं होने के कारण त० स० का वजूद कानूनी तौर पर भी समाप्त हो गया। फलतः कॉलेज के विकास का जिम्मा संस्थापक प्रबंध समिति, जिसके सचिव प्रो० प्रसाद के जिम्में आ गया। इस कॉलेज से 2002 तक छात्र विश्वविद्यालय परीक्षा में शामिल होते रहे। क्योंकि सबद्धता के दीर्घीकरण का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन था। दुर्भाग्यवश बंबडर ने एसवेसट्स से आच्छदित छत को लगातार दो बार उड़ाकर एक किलोमीटर फेंक दिया। और भवन नंगा हो गया। फलत: कॉलेज में पठन-पाठन भी बंद हो गया। वर्ष 2012 में पक्के छत की ढ़लाई करने के उपरान्त संस्थापक प्रबंध समिति ने कॉलेज को स्थायी संबंधन प्रदान करने का अनुरोध वि० वि० से किया।
विश्वविद्यालय के प्रस्ताव पर सरकार ने कला संकाय के पास एवं प्रतिष्ठा में पूर्व से संबंधन प्राप्त 8 विषयों में संबंधन का दीर्घीकरण सत्र-2011-2012 तक अद्यतन करते हुए कुल 16 विषयों (1: हिन्दी, 2. अंग्रेजी, 3. संस्कृत, 4. उर्दू, 5. इतिहास, 6. भूगोल, 7. अर्थशास्त्र, 8. ग्रामीण अर्थशास्त्र, 9. समाजशास्त्र, 10. दर्शनशास्त्र, 11. संगीत, 12. गृहविज्ञान, 13. राजनीति विज्ञान, 14. मनोविज्ञान, 15 श्रम एवं समाज कल्याण एवं 16. गाँधी विचार) में पास एवं प्रतिष्ठा स्तर तक सत्र 2012-13 से स्थायी संबंधन की स्वीकृति प्रदान कर दी। जिसके आलोक में छात्रों का नामांकन एवं अध्यापन जारी है। कॉलेज के स्थान एवं गृह विज्ञान, संगीत, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, भूगोल जैसे विषयों में शिक्षण तथा शख्त अनुशासन एवं सुरक्षा के कारण यह कॉलेज छात्राओं की पहली पसंद है।
स्थायी संबंधन प्राप्ति के बाद वि० वि० के द्वारा शासी निकाय संगठन कर दिया गया। वर्ष 2015-16 में पूर्व के भवन के उपरी तल पर दो मंजिला भवन का निर्माण हो चुका है।