Principal Message

Principal Message (प्रधानाचार्य का संदेश)

ए० के० गोपालन डिग्री कॉलेज, सुल्तानगंज (भागलपुर)
के संस्थापक प्रो० अर्जुन प्रसाद, सेवा निवृत का संक्षिप्त परिचय

स्थानीय जनता की आकांक्षा एवं क्षेत्र की जरूरत को देखते हुए प्रो० अर्जुन प्रसाद जो सी०पी०आई० (एम०) के बिहार पार्टी के राज्य सचिव मंडल के सदस्य, भारत की जनवादी नौजवान सभा (DYFI) के बिहार राज्य कमिटि के अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय कमिटि के सदस्य हुआ करते थे, की प्रेरणा से "ए० के० गोपालन कॉलेज" की स्थापना की गयी। प्रो० प्रसाद आपात्काल में जेल जा चुके थे। का० गोपालन भी आपात्काल का विरोध करने के क्रम में पुलिस लाठी चार्ज में घायल हुए थे। घायल होने के कुछ दिनों बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गयी थी। प्रो० प्रसाद का० गोपालन की देशभक्ति एवं ईमानदारी से बहुत प्रभावित थे। इस कारण दोनों के बीच आत्मीय संबंध कायम हो गया था। अतएव प्रो० प्रसाद के सुझाय एवं प्रेरणा से कॉलेज का नाम "ए० के० गोपालन कॉलेज" रखा गया।
प्रो० प्रसाद को इस कॉलेज के विकास एवं रक्षा के लिए महंगी कीमत चुकानी पड़ी। उन्होंने न केवल कॉलेज को धन दिया, बल्कि उन्हें इसी कॉलेज के कारण पार्टी से निष्कासित होना पड़ा। पार्टी ने उन्हें कॉलेज का कोष एवं कागजात पार्टी के राज्य सचिव मंडल के ही

A. K. Gopalan Degree College Sultanganj, Bhagalpur

एक सदस्य को सौंपने की आज्ञा दी थी। जिसका पालन ये नहीं कर सकते थे। क्योंकि कॉलेज का कोप बैंक में रहता है, जिसका संचालन सचिव एवं प्रधानाचार्य के संयुक्त हस्ताक्षर से होता है। तथा कॉलेज के दस्तावेज का कस्टोडियन प्रधानाचार्य होता है। ऐसी स्थिति में वे पार्टी के उक्त आदेश का पालन करने में असमर्थ थे। इसी को पार्टी ने अनुशासनहीनता करार दिया और इसी कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। जबकि उन्होंने पार्टी के निदेशानुसार कॉलेज के सचिव के पद से इस्तिफा | दे दिया था। जिसे प्रबंध समिति ने सर्व सम्मति से अस्वीकार कर दिया था। जबकि प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य पार्टी के ही सदस्य थे।
इस कॉलेज की रक्षा के क्रम में ही प्रो० प्रसाद पर तत्कालिन प्रो-इन्चार्ज के नेतृत्व में जान लेवा हमला हुआ। इस हमले में प्रो० प्रसाद तो किसी प्रकार बच गये, परन्तु उनके साथ चल रहे कॉलेज के हिन्दी के विभागाध्यक्ष प्रो० सी० डी० राय बुरी तरह घायल हो गये। प्रो० प्रसाद जिला साक्षरता समिति, भागलपुर के सचिव एवं भारत ज्ञान-विज्ञान समिति भागलपुर के अध्यक्ष के रूप में पूरे जिले में साक्षरता आंदोलन, अंधविश्वास रूढ़िवाद के खिलाफ जनजागरण में वर्षों तक लगे रहे। सेवानिवृत्त के वाद राज्य सरकार ने उन्हे शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार का सदस्य नियुक्त किया। इस रूप में गया एवं मुंगेर जिला में बड़ी ईमानदारी से न्यायोचित निर्णय लेते रहे। समाज सेवा उन्होंने धर्म के रूप में स्वीकारा है। वे अखिल भारतीय सेवानिवृत्त वि० वि० शिक्षक संघ के जोनल सेक्रेटी रहे। फिलहाल वे ति० माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय सेवा निवृत्त शिक्षक कल्याण समिति के महासचिव एवं ए० के० गोपालन शैक्षिक सोसाइटी के सचिव है ।
वे भागलपुर नगर निगम कर्मचारी संघ के सचिव, भा०वि०यि० चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष तथा ट्रेड युनियन कॉआर्डिनेशन कमिटी भागलपुर के सचिव तथा अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ के जोनल सेक्रेट्री, बिहार वि०वि० (सेवा) शिक्षक संघ के संयुक्त सचिव तथा भा०वि०वि० (सेवा) शिक्षक संघ के संयुक्त सचिव के दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वाह करते रहे। पार्टी से उनका निष्कासन कॉलेज के लिए वरदान सावित हुआ उन्होंने अपना पूरा समय एवं अपनी ऊर्जा कॉलेज के विकास में लगाया। बाद में वे लम्बे काल तक बिहार इन्टर मीडिएट शिक्षा परिषद एवं ति० मा० भागलपुर विश्वविद्यालय के सिंडिकेट एवं सिनेट के सदस्य रहे। यह प्रो० प्रसाद की दूरदर्शिता ही थी कि उन्होंने वर्ष 1985 में ही, बिल्कुल अलग-अलग संसाधन, स्टाफ एवं भवन के साथ इन्टर एवं डिग्री कॉलेजों की बिल्कुल अलग-अलग व्यवस्था की "ए०के०जी० डिग्री कॉलेज के नाम से ति० मा० भागलपुर विश्वविद्यालय तथा सरकार से सबद्धता प्राप्त की।
इस पिछड़े एवं ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा एवं संस्कृति के क्षेत्र में विकास में प्रो० प्रसाद के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। है। कॉलेज के लिए उनकी कुर्बानी, ईमानदारी, कर्मवता एवं कॉलेज के प्रति समर्पण के कारण ही दोनों कॉलेज फलफूल रहा है। सुलतानगंज क्षेत्र की जनता एवं कॉलेज परिवार सदा उनका आभारी बना रहेगा।

प्रधानाचार्य
ए० के० गोपालन डिग्री कॉलेज, सुल्तानगंज